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'स्वयं सहायता समूह' कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में सहायता करते हैं। कथन की परख कीजिए। 


स्वयं सहायता समूह की भूमिका -
(i) स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण गतिविधियों से सम्बंधित अधिकतर महत्त्वपूर्ण निर्णय समूह के सदस्य स्वयं करते हैं।
(ii) जब महिलाएं अपने आप को स्वयं सहायता समूह में संगठित कर लेती हैं तो बैंक भी इन गरीब महिलाओं को उनके पास कोई ऋणधार न होते हुए भी ऋण देने के लिए तैयार हो जाती है।
(iii) एक भी सदस्य अगर ऋण नहीं लौटाता तो समूह के अन्य सभी सदस्य इस मामले को गंभीरता से लेते हैं।
(iv) ऋण को लौटाने की जिम्मेदारी भी समूह की होती है।
(v) समूह के सदस्य एक दूसरे से सुपरिचित होते हैं। वे एक ही समाज से सम्बंधित होते हैं।

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भारत में राजनीतिक दलों में सुधार लाने के लिए किए गए किन्हीं पॉंच प्रयासों का वर्णन कीजिए। 

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