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उड़ान ज़िन्दगी की

Pankaj Patel 0

हर दिन सुबह-सुबह अख्बार या TV देखते वक्त कुछ ना कुछ सुविचार देखने या पढने मे आते है। वैसे तो हर लिखनेवाला उस विचार को समाज मे अनुकरण मे लाने हेतु लिखता है, कुछ विचार पूरे समाज के लिये होते है, कुछ समाज के खास वर्ग के लिये होते है। मेरा तालुक ज्यादातर विध्यार्थीओ से है, अतः आज ये सुविचार मेरे मन को छू गया।


ये पंक्तियां किसी कवि ने लिखी हो या फिर किसी प्रेमी ने, पर अर्थ बडा गहन है। जैसे हर पतंग का फटकर कचरे मे जाना तय है फिर भी पतंग अपने छोटे से जीवन काल मे बडी उंचाई हाँसिल करना चाहती है। वैसे तो कई पतंग बिना उडे भी कचरा बन जाती होगी। पतंग अपनी उडान मे डोरी से बंधी रहती है। नीचे से किसी के आदेशानुसार उसे अपनी उडान भरनी है और ऐसा होने पर ही सही मायने मे उडान है।


हमारे देश मे बहुत जगह पतंगे उडाई जाती है इसलिये हम सब जानते है की कुछ पतंगे उडानेवाले के बस मे नही रहती, उनकी आखिर मे दुरगती ही होती है। आकाश मे फटे या कट कर कही अनजान जगह जा गिरे। इस सबमे हवाका बहाव या उडाने वाले की अक्षमता भी जिम्मेदार हो सकती है।


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यहा पतंग के उदाहरण से जिंदगी के बारे मे बडी बात कही गई है। खासकर विध्यार्थीकाल मे हर कोई उड़ना चाहता है। समाज मे जाने-अनजाने परिवर्तनो की आंधी चलती रहती है। जैसे ज्यादा हवा मेंं पतंगे फटती है वैसे ही अगर उडाने वाला या कहे की मा-बाप और स्कूल के संबंधित लोग उचित ध्यान न रखे तो भविष्य मे जिन्हे कुछ कर दिखाना है, और वो उसके काबिल भी है वैसे बच्चे इन अनिश्चित परिवर्तनो की आंधी मे दिशाहीन हो सकते है।


बडे महापुरुषों ने बार-बार कहा है, यौवन और विध्यार्थी अवस्था चेतना और शक्ति के बडे स्त्रोत होते है। इस अवस्था मे बच्चो को सही राह दिखाना न सिर्फ माता-पिता एवम स्कूल का कर्तव्य है पर पूरे समाज की ये जिम्मेदारी है। हर बीज मेंं वृक्ष होने की क्षमता है, जरूरत उसके सही पालन-पोषणकी है। वैसे ही हर बच्चा अपने आप मे असीम संभावनाओ के साथ आता है, उसे भी सही शिक्षा-दिक्षा की जरूरत होती है।


निष्फलता सफलता के लिए सीड़ी है। परीक्षा हो या कुछ नया सीखने की बात हो, बच्चे के कोमल मन मे असफलता का डर कभी बैठने नही देना है। असफलता से कुछ नया सीख के सफल होने के रास्ते सुझाने है। आखरी पंक्ति मे बडी पते की बात कही है। जिन्दगी मे सफलता से पहले असफलता मे तजुर्बा मिलता है। हम ढूंढने जाये तो भी एसा कोई महापुरुष नही मिलेगा जो अपनी असफलता से ना सीखा हो। आज-कल असफलता का डर न जाने क्यो बच्चोंं के मन मे गहराई तक बिठा दिया जाता है। तजुर्बे की अहमियत बताइ नहीं जाती, जिस से आज के इस स्पर्धा के युग मे हर कोई सिर्फ सफलता पाना चाहता है। परीक्षा मे अंक कम आये तो न सिर्फ बच्चे, उनके माता-पिता भी कुछ बहूत बडा खो देने की भावना महसूस करते है।


देश और दुनिया मे कम अंक लाने वाले या फिर फेल होने वाले अनेको उदाहरण है जिन्होने जिन्दगी मे बडी ऊंचाईया हासिल की। बच्चो के मन मे कभी अकारण दबाव न डाले, उन्हे स्वाभाविक रूप से विकसित होने दे।

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

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