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छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस – व्यस्त मुंबई का केन्द्र

Rina Gujarati 1
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पूर्व में जिसे विक्टोरिया टर्मिनस कहा जाता था, एवं अपने लघु नाम वी.टी., या सी.एस.टी. से अधिक प्रचलित है। यह भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई का एक ऐतिहासिक रेलवे-स्टेशन है, जो मध्य रेलवे, भारत का मुख्यालय भी है। यह भारत के व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है, जहां मध्य रेलवे की मुंबई में, व मुंबई उपनगरीय रेलवे की मुंबई में समाप्त होने वाली रेलगाड़ियां रुकती व यात्रा पूर्ण करती हैं। आंकड़ों के अनुसार यह स्टेशन ताजमहल के बाद; भारत का सर्वाधिक छायाचित्रित स्मारक है।

निर्माण

इस स्टेशन की अभिकल्पना फ्रेडरिक विलियम स्टीवन्स, वास्तु सलाहकार 1887-1888, ने 16.14 लाख रुपयों की राशि पर की थी। स्टीवन ने नक्शाकार एक्सल हर्मन द्वारा खींचे गये इसके एक जल-रंगीय चित्र के निर्माण हेतु अपना दलाली शुल्क रूप लिया था। इस शुल्क को लेने के बाद, स्टीवन यूरोप की दस-मासी यात्रा पर चला गया, जहां उसे कई स्टेशनों का अध्ययन करना था। इसके अंतिम रूप में लंदन के सेंट पैंक्रास स्टेशन की झलक दिखाई देती है। इसे पूरा होने में दस वर्ष लगे और 20 June 1887 के दिन यह स्टेशन यात्रियो के लिए खोला गया था। तब इसे तत्कालीन शासक सम्राज्ञी महारानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया टर्मिनस कहा गया।

सन 1996 में, शिवसेना की मांग पर, तथा नामों को भारतीय नामों से बदलने की नीति के अनुसार, इस स्टेशन का नाम, राज्य सरकार द्वारा सत्रहवीं शताब्दी के मराठा शूरवीर शासक छत्रपति शिवाजी के नाम पर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस बदला गया। फिर भी वी.टी. नाम आज भी लोगों के मुंह पर चढ़ा हुआ है। 2 जुलाई, 2004 को इस स्टेशन को युनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

विकटोरियन गोथिक शैली और भारतीय स्थापत्य का संगम

इस स्टेशन की इमारत विक्टोरियन गोथिक शैली में बनी है। इस इमारत में विक्टोरियाई इतालवी गोथिक शैली एवं परंपरागत भारतीय स्थापत्यकला का संगम झलकता है। इसके अंदरूनी भागों में लकड़ी की नक्काशि की हुई टाइलें, लौह एवं पीतल की अलंकृत मुंडेरें व जालियां, टिकट-कार्यालय की ग्रिल-जाली व वृहत सीढ़ीदार जीने का रूप, बम्बई कला महाविद्यालय (बॉम्बे स्कूल ऑफ आर्ट) के छात्रों का कार्य है। यह स्टेशन अपनी उन्नत संरचना व तकनीकी विशेषताओं के साथ, उन्नीसवीं शताब्दी के रेलवे स्थापत्यकला आश्चर्यों के उदाहरण के रूप में खड़ा है।

मुंबई के व्यस्त जीवन का केन्द – छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस

मुंबई उपनगरीय रेलवे (जिन्हें स्थानीय गाड़ियों के नाम पर लोकल कहा जाता है), जो इस स्टेशन से बाहर मुंबई नगर के सभी भागों के लिये निकलतीं हैं, नगर की जीवन रेखा सिद्ध होतीं हैं। शहर के चलते रहने में इनका बहुत बड़ा हाथ है। यह स्टेशन लम्बी दूरी की गाड़ियों व दो उपनगरीय लाइनों – सेंट्रल लाइन, व बंदरगाह (हार्बर) लाइन के लिये सेवाएं देता है। स्थानीय गाड़ियां कर्जत, कसारा, पनवेल, खोपोली, चर्चगेट व डहाणु पर समाप्त होतीं हैं।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

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  1. Rakesh Bhatt Rakesh Bhatt

    Good Morning Rina,
    Thank you for this beautiful article.
    I read this “Dinchariya” daily and really feel good to gather bit by bit historical speciality of India.

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