डॉ. कलाम, जनता के राष्ट्रपति या मिसाईल मैन जैसे नाम से हमारे देश का बच्चा बच्चा जिन्हें जानता है, वैसे कलाम साहब का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था । एक साल पहेले आज ही के दीन, जो उन्हें सबसे प्यारे थे वैसे विद्यार्थियों को संबोधित करते समय हृदयरोग से उनकी मृत्यु हुइ थी ।
आज के समय में कलाम साहब बहूत याद आते हे, जब कोई सहिष्णुता ओर असहिष्णुता की बातें करता हे । डॉ. कलाम भारत की सहिष्णुता के राजदूत थे । जिस देश का अल्पसंख्यक व्यक्ति सर्वोच्च पद पर आसिन हो सकता है, उस देश को भला कोई कैसे असहिष्णु कह सकता है ? डॉ. कलाम का जन्म रामेश्वरम में हुआ था, जो कि हिंदुओं का बडा धार्मिक स्थल है । उनके पूरे जीवन में, उनकी सादाई में और उनके जीवनदर्शन में रामेश्वरम के सामाजिक एवम धार्मिक मूल्यों का प्रतिबिंब दिखता है ।
आजके समय में कलाम साहब बहूत याद आते हे, जब कोई अपने आप को समाज की सेवा करने के लिये प्रस्तुत होने की बात करता है, और चुनाव दर चुनाव उनकी संपत्ति बढती चली जाती है । देश के सर्वोच्च वैज्ञानिक और बाद मे राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद भी कलाम साहब की संपत्ति में कुछ पुस्तकें और कपड़े ही थे । ना बडी जायदाद या रुपय पैसा वो छोड़ गये पर समग्र देश का प्यार ओर सन्मान पा के गये । उन्होने अमीरीमे गरीबी और अशिक्षामे शिक्षाकी सर्वोत्तम मिसाल कायम की ।
आजके समय में कलाम साहब बहूत याद आते है, जब कोई कहता हे भारतमे अप्लसंख्यको को शिक्षाके अवसर नहि है । उन्होंने न्युझ पेपर बेचकर अपने काम की शूरूआत की, लगन और मेहनत की अपनी ही मिसाल कायम करके राष्ट्र की सर्वोच्च वैज्ञानिक शोध संस्थाओ में कार्य किया और विकसित देश के किसी नागरिक के लिये भी जो सम्मान पाना मुश्कील हो वैसा मिसाईल मैन का खिताब पाया । भारतरत्न जो हमारे देश का सबसे बड़ा खिताब हे वो भी कलाम साहब को मिला है । भारत के संरक्षण एवम अवकाश संशोधन क्षेत्र में डॉ. कलाम के कार्य का पूरा विश्व साक्षी है । किसी दिन NASA के प्रवेश द्वार पर दुनिया की सबसे प्रथम मिसाइल का चित्र देख उन्होंने सोचा था की मेरा देश इस विध्या मे प्रथम था, मैं उसे सर्वोच्च स्थान पर ले जाउंगा और उन्होंने वो करके दिखाया ।
आजके समय में कलाम साहब बहूत याद आते है, जब कोई सादाई की बात करता है । उन्होंने सार्वजनिक जीवन में सच्चाई और सादाई के नये मुकाम कायम किये । उन्हें बच्चे सबसे ज्यादा प्रिय थे । राष्ट्रपति पद से निवृत्त होने के बाद युनिवर्सिटी या वैज्ञानिक शोध के विद्यार्थियों को वो सबसे ज्यादा समय देते थे । आखरी वक्त में उन्होंने ही एक युनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को संबोधित करते समय इस दुनिया को अलविदा किया ।
साम्प्रत समय में कलाम साहब जैसे लोगों की हमारे देश को सबसे ज्यादा जरूरत है । धार्मिक उन्माद के वातावरण में लोग इस देश की मिलीझुली संस्कृति को दूषित करने पर तुले है । अपने संकुचित स्वार्थके लिये लोगों की भावनाओं को उत्तेजित कर अपना उल्लु सिधा करने में लगे लोगों के लिये जहाँ अपना स्वार्थ ही सर्वोच्च है वहाँ डॉ. कलाम सच में लोगों के राष्ट्रपति थे । कोई जब भी उन्हें याद करे और उनके जीवन से कुछ सीखना चाहे या फिर उन्हें सच्ची श्रद्धांजली देनी हो तो देश को मजबूत करने में योगदान करें । ऐसा करके ही भारत के इस महान सपूत को सच्ची श्रद्धांजली दी जा सकती है ।