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न्याय मेंं देरी अन्याय ही है

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हमारे देश में न्याय में देरी आम बात है | इसके कई कारण हो सकते हैं और दरअसल हैं भी | वैसे तो भारतीय न्यायतंत्र निष्पक्ष और स्वतंत्र है | अभी हाल ही में व्यावसायिक केसों के त्वरित निकालने हेतु विशेष न्यायालय गढ़ने के लिए केबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया है | इस प्रस्ताव के अनुसार एक करोड़ से ज्यादा की लेन-देन वाले व्यावसायिक केसों का निपटारा विशेष न्यायालयों द्वारा किया जाएगा | ये विशेष न्यायालय निचली अदालतों में और उच्च-न्यायालयों में स्थापित करने की योजना है | सरकार के अनुसार इस से देश में व्यापार के लिए माहौल बनेगा |

कुछ समय पहले दिल्ली में निर्भया कांड के समय तत्कालीन सरकारने बलात्कारों के खिलाफ फास्ट ट्रैक न्यायालय बनाने का फैसला किया था | जिस से समयबद्ध तरीके से गंभीर गुनाह के आरोपी के केसों का निपटारा हो सके | सरकार के इस फैसले से देश में बलात्कार जैसे अपराध न कम हुए, ना ही न्याय त्वरित हुआ है |

प्रधानमंत्री मोदीजी ने सत्ता संभालते ही राजकीय आरोपियों के केस एक साल में निपटाने हेतु योजना करने की मंशा जाहिर की थी, जिससे राज कारण में अपराधियों की संख्या कम की जा सके और जिन राजकीय लोगों के सामने मात्र राजकीय हेतु से आरोप लगाए गए हो उन्हें जल्द न्याय मिल सके | मोदीजी की लाख मंशा होने के बावजूद अब तक ये हो नहीं पाया है |

कुछ समय पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की रिक्त जगहों को भरने हेतु एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री जी से बड़ी भावुक अपील की थी | उसी वक्तव्य में उन्होंने न्याय में देरी की वजहों का खुलासा किया था | उनके अनुसार आधारभूत जरूरतों की पूर्ति में सरकार द्वारा देरी भी विलम्बित न्याय का महत्वपूर्ण कारण है |

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देश में राष्ट्रद्रोह जैसे अपराध के आरोपी सालो तक जमानत पर घूमते है, हो सकता है की आरोपी पर जूठे आरोप लगाए गए हो या राजकीय आरोप पत्र हो | पर राष्ट्रद्रोह के अपराधी सालों तक समाज में खुले आम घूमें ये स्वीकार्य नहीं हो सकता | आतंकवादियों को सजा देने में सालो का वक्त लगता है | बलात्कारियों को सजा देने में सालो गुजर जाते है | देशभर में करोड़ों मामले लंबित है | त्वरित न्याय समय की जरूरत है | लालूप्रसाद यादव, जयललिता जैसे कई मुख्यमंत्री आरोपों के साथ कितने सालो तक राज्य चलाते है | सोचने का समय गुजर गया है, अब तो कुछ करने का समय है |

देश में जघन्य अपराधियों को कम समय में सजा मिले ये हर नागरिक की मन की बात है | साथ में जेलों में लाखों आरोपी सामान्य अपराध की वजह से बन्द है | कुछ सिर्फ जमानत न दे पाने की वजह से सालो तक जेल में रहते है | कई ऐसे भी होते है जिनके अपराध की सजा से ज्यादा केस के निपटारे से पहले जेल हो जाती है | कारण प्रशासनिक हो सकते है, धन की कमी हो सकती है, आधारभूत ढ़ांचे की कमी भी वजह हो सकती है पर निपटारा तेजी से नहीं होता ये वास्तविकता है |

व्यावसायिक या धनी लोगों के केसों के जल्द निपटारे की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता, ये देश में विदेशी निवेश हेतु भी जरूरी है | उधोगपति जल्द न्याय के हकदार भी हैं, पर गरीब सालों तक न्याय के लिए जूझता रहे ये भी कभी इच्छनीय नहीं हो सकता | कुछ हजार लोगों के लिए व्यवस्था बन सकती है तो करोड़ों के लिए भी करनी पड़ेगी | लोकतंत्र में करोड़ों लोगों की मांग या जरूरत को ठुकराना कभी न्यायोचित नहीं हो सकता | सरकार गरीबों के लिए भी सोचेगी जरूर |

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

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  1. Chandigarh Advocates Chandigarh Advocates

    No I am not agree with you. It takes a little time to get justice.

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