पापं कर्तुमृणं कर्तुं मन्यन्ते मानवाः सुखम् ।
परिणामोSतिगहनो महतामपि नाशकृत ॥
भावार्थ:
कोई पापकर्म करते समय या ऋण लेते समय लोग सुख का अनुभव करते है, परन्तु इनका परिणाम अत्यन्त दुःखद होता है, यहां तक कि सज्जन और महान व्यक्ति भी ऐसा करने से विनष्ट हो जाते हैं।
English
Papam kartumrunam kartu manyante maanavah sukham.
Parinaamotigahano mahatamapi nashakrut.
While doing evil deeds and incurring a debt people feel happy, but the end result is very distressing and inexplicable, and even righteous and noble persons get ruined in doing so.
(Through this Subhashita the author has warned the people against doing evil deeds and incurring debts.)
(इससे पहले का सुभाषित – लोकाः स्त्रीषु रताः स्त्रियश्च चपलाः पुत्राः पितुर्द्वेषिणः । साधुः सीदति दुर्जनः प्रभवति प्राप्ते कलौ दुर्युगे ॥ )