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मुनि तरुण सागर – प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि या संत

Pankaj Patel 0
मुनि तरुण सागर

मुनि तरुण सागर जैन धर्म के भारतीय दिगम्बर पंथ के प्रसिद्ध मुनि थे। उन्होंने पूरे देश में भ्रमण किया। बचपन से ही तरुण सागर मुनि का अध्यात्म की और बड़ा झुकाव था। वे अन्य जैन मुनियों से बिलकुल भिन्न थे। उनके प्रवचनों में हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती थी। उन्हें सुनने के लिए जैन धर्म के लोग तो आते ही थे, लेकिन अन्य धर्म के लोग भी बड़ी संख्या में उनके प्रवचन सुनते थे। तरुण सागर मुनि प्रवचन के माध्यम से रुढ़िवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार का काफी विरोध करते थे। इसीलिए उनके प्रवचनों को ‘कड़वे प्रवचन’ कहा जाता है।

जन्म एवं परिचय

तरुण सागर मुनि का जन्म 26 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में गुहंची गांव में हुआ था। तब उनका नाम पवन कुमार जैन था। उनके पिता का नाम प्रताप चन्द्र जैन और माता का नाम शांतिबाई जैन था। राजस्थान के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें 20 जुलाई, 1988 को दिगंबर मुनि बना दिया। तब वह केवल 20 साल के थे। सामन्यात: जैन साधु आधुनिक तकनीक से दूर रहते है पर तरुण सागरजी उनके जीटीवी पर ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम की वजह से बहुत प्रसिद्ध हुए। मुनि तरुण सागर टीवी शॉ ‘आपकी अदालत’ मे भी आए और कहा भी की ‘आज लोग अगर धर्म के पास नहीं आते, तो धर्म को लोगो के पास जाना पड़ेगा।’

धार्मिक प्रवचन

सन 2000 में तरुण सागर ने दिल्ली के लाल किले से अपना प्रवचन दिया। उन्होंने हरियाणा (2000), राजस्थान (2001), मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003), महाराष्ट्र (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल 2006 में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वे कर्नाटक के श्रावणबेलगोला में रुके थे। वह पूरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगांव से सीधे कर्नाटक पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कडवा’ कहा जाने लगा। उन्होंने बेंगळूरु में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था। 2015 में फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर’ में तरुण सागर मुनि ने चातुर्मास का अनुसरण किया था। 108 श्रावक के जोड़ों ने उनका स्वागत किया था।

विधानसभा मे भी प्रवचन

अधिकतर जैन साधु, भिक्षुक राजनीति, नेताओं से दूर ही रहते हैं, लेकिन मुनि तरुण सागर बहुत बार नेताओं से और सरकारी अधिकरियों से मिलते थे। । उन्होंने सन 2010 में मध्य प्रदेश विधानसभा और 26 अगस्त, 2016 को हरियाणा विधानसभा में प्रवचन दिया था।

लोक चाहना व सम्मान

तरुण सागर मुनि को मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003), महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य अतिथि के रूप में घोषित किया गया था। कर्नाटक में उन्हें “क्रान्तिकारी” का शीर्षक दिया गया और सन 2003 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में उन्हें “राष्ट्र संत” घोषित किया गया।

‘कडवे प्रवचन’

तरुण सागर मुनि के सारे प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए हैं। उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित हैं।

विदाई

तरुण सागर महाराज ने 51 साल की उम्र मे दिल्ली मे ‘संथारा’ किया। संथारा का अर्थ है – मृत्यु तक उपवास करना। 1 सितंबर 2018 के दिन उनकी मृत्यु हुई।

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

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