सेवेव मानमखिलं ज्योत्स्नेव तमो जरेन लावण्यम् ।
हरिहरकथेन दुरितं गुणशतमप्यर्थिता हरति ॥
भावार्थ:
किसी का सेवक बनने पर सारा मान सम्मान नष्ट हो जाता है, चन्द्रमा की ज्योत्स्ना से रात्रि का अन्धकार नष्ट हो जाता है, बृद्धावस्था रूप और लावण्य का हरण कर देती है, भगवान विष्णु और शिवजी की आराधना और नामस्मरण से सभी प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं, और किसी से याचना करने पर याचक के सौ से भी अधिक गुणों का नाश हो जाता है।
English
Seveva maanamakhilam jyotsneva tamo jarena laavanyam.
Hariharakathena duritam gunashatamapyarthitaa harati.
By being in the service of some body one’s entire self-respect is lost, by the moonlight darkness is dispelled, old age destroys beauty and grace, by worshiping and reciting the names of Lord Vishnu and Lord Shiva, all difficulties, danger and sins are dispelled, and by begging from others hundreds of virtues are lost.
(इससे पहले का सुभाषित – तावन्मतां महती यावत्किमपि हि न याच्यते लोकम् । बलिमनुयाचनसमये श्रीपतिरपि वामनो जातः ॥ )