अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूज्यानां तु विमानना ।
त्रीणि तत्र प्रवर्तन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयं ॥
भावार्थ:
जिस देश या समाज में अपूज्य और अयोग्य व्यक्तियों का सम्मान होता है और पूजनीय सम्माननीय व्यक्तियों का निरादार और अपमान होता है, वहां सदैव दुर्भिक्ष, मृत्यु तथा भय, ये तीनों विपत्तियां छायी रहती हैं।
English
Apoojyaa yatra poojyante poojyaanaam tu vimaananaa.
Treeni taatra pravartante durbhiksham maranam bhayam.
In a Country or community where persons unfit for being revered are revered, and those who deserve to be revered are shown disrespect and humiliated, these three scourges, namely famine, death and fear prevail.
(इससे पहले का सुभाषित – आपदि मित्र परीक्षा शूर परीक्षा रणाङ्गणे भवति । विनये वंशपरीक्षा स्त्रियः परीक्षा तु निर्धने पुंसि ॥ )