इलाहाबाद कोर्टका सीमाचिह्न फैसला वो था जिसमे इन्दिरा गांधी चुनाव गरबड़ियाँ मे दोषी दोषी ठहराई गई।
देश का तत्कालीन हाल
देश 1971 का बांग्लादेश युद्ध जीत चुका था। इन्दिरा गांधी वैश्विक प्रतिभा बन चुकी थी। पर देश मे महंगाई, गरीबी औए बेरोजगारी से स्थिति विकत थी। श्रीमती गांधी चुनाव तो जीत गई थी, सरकार भी बन गई थी पर देश मे स्थितियाँ इतनी अच्छी नहीं थी। एसे मे एलाहाबाद कोर्ट ने एक फैसला दिया जिसने देश का तत्कालीन वर्तमान ही नहीं भविष्य निर्माण करने मे भी अहम रोल निभाया।
इन्दिरा गांधी के चुनाव मे सरकारी मशीनरी और सरकारी नौकरो के दुरपोयोग का राजनारायण का आरोप सही पाते हुए कोर्ट ने उन्हे दोषी ठहराया। उनका चुनाव रद्द करते हुए अगले 6 साल तक उन्हे डिस क्वोलिफ़ाय करार दिया।
इस मुकदमे मे बचाव पक्ष के वकील नानी पालखिवाला ने इन्दिरा गांधी के पक्ष मे दलीले दी थी, जब की शांति भूषण ने राज नारायण का पक्ष रखा था।
इलाहाबाद कोर्टका सीमाचिह्न फैसला ये कुछ गिने-चुने फैसलो मे से एक है, जिसने देश की दशा और दिशा बदल दी। अंतत: श्रीमती गांधी ने आपात काल लगाया और इतिहास हम सब जानते है …..!!