उत्तमैः सह सांगत्यं पण्डितैः सह संकथा ।
अलुब्धैः सह मित्रत्वं कुर्वाणो नावसीदति ॥
भावार्थ :-
यदि कोई व्यक्ति सज्जन व्यक्तियों की संगति में रहता है, और विद्वान व्यक्तियों से विचारों का आदान प्रदान करता है, तथा अलोभी व्यक्तियों से मित्रता करता है, तो उसे कभी भी अवसादित नहीं होना पडता।
(अवसाद एक ऐसी मानसिक स्थिति होती है जिस में व्यक्ति अपने विगत में किये गये कार्यों के फलस्वरूप कष्ट भोगने को बाध्य हो जाता है। परोक्ष रूप से इस सुभाषित में वर्णित व्यक्तियों के विपरीतआचरण करने वाले, अर्थात दुर्जन और नीच व्यक्तियों के संसर्ग में न आने की चेतावनी दी गयी है।)
English
Uttmaih saha saamgatyam panditaih saha samkathaa.
Alubdhaih saha mitratvam kurvaano naavaseedati..
If a person keeps the company of honorable and righteous men, or engages himself in conversation or interaction with knowledgeable persons, or makes friendship with persons who are not greedy, he will never be let down or get frustrated.
Very good attempt by Pankaj
Congratulation