एस. विजयलक्ष्मी (जन्म 25 मार्च 1979) भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी है जो आंतर्राष्ट्रीय मास्टर्स और महिला ग्रांड मास्टर्स खिताब धारण करती है। वो हमारे देश की पहली IM और VGM खिताब पाने वाली खिलाड़ी है। एस. विजयलक्ष्मी ने शतरंज मे भारत मे किसी भी महिला खिलाड़ी से ज्यादा टाइटल जीते है। उन्होने राष्ट्रीय खेलो मे हर ग्रुप मे टाइटल जीता है।
मद्रास मे जन्मी एस. विजयलक्ष्मी ने शतरंज खेलना अपने पिता से सीखा है। उन्होने भारतीय ग्रांड मास्टर श्रीराम जहा से शादी करी है। उनकी बहने एस. मीनाक्षी और एस. भानुप्रिया भी शतरंज खिलाड़ी है।
इनकी पहली प्रतियोगिता Tal Chess Open 1986 से व्यावसायिक शतरंज खेलना शुरू किया। 1988 और 1989 मे अंडर 10 राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीती, जब की अंडर 12 राष्ट्रीय प्रतियोगिता भी दो बार जीती। 1995 मे मद्रास झोन प्रतियोगिता मे वे दूसरी रही थी। तहेरान मे आयोजित एशिया झोन प्रतियोगिता 1997 भी उन्होने जीती थी। जब की 1999 मे यही प्रतियोगिता मुंबई मे हुई तब भी वही जीती। 1996 मे कलकत्ता मे आयोजित प्रतियोगिता मे वह कॉमनवेल्थ वुमन्स चेम्पियन बनी। दोबारा यही प्रतियोगिता उन्होने मुंबई मे 2003 मे जीती। विजयालक्ष्मी ने मद्रास (1995), कोलकाता (1996), कोझिकोड़ा (1999), मुंबई (2000), दिल्ली (2001), और लखनऊ (2002) मे लगातार भारतीय महिला चेंपियनशिप जीती। 1998 मे उन्हे भारतीय दल के साथ महिला चेस ओलंपियाड मे हिस्सा लेने का मौका मिला। 2000 मे इस्तांबूल मे खेले गए 34 वे चेस ओलंपियाड मे उन्हे सिल्वर मेडल मिला। यह प्रदर्शन उन्होने 2002 मे भी दोहराया। 2007 मे इटली मे उन्होने लियो नार्दो डी बोना मेमोरियल प्रतियोगिता जीती।
1996 मे उन्हे चेन्नई मे FIDE zonal tournament मे अपने प्रदर्शन के बूते वुमन इन्टरनेशनल मास्टर्स (WIM) का खिताब मिला। 2001 मे वो वुमन ग्रांड मास्टर्स (WGM) का खिताब पानेवाली पहली भारतीय महिला चेस खिलाड़ी बनी।
उन्होने आगे भी राष्ट्रीय और आंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओ मे खेलना और भारत का नाम गौरवान्वित करना जारी रखा। वर्ष 2001 मे उन्हे भारत सरकार ने अर्जुन एवोर्ड से नवाजा। एस. विजयालक्ष्मी ने भारत की महिलाओ मे शतरंज के खेल के प्रति रुचि जगाने मे बड़ी प्रोत्साहक भूमिका अदा की है।