आज कल नेपाल के भारत के रिश्तो मे खटास बढ़ रही है। नेपाल मे माओवादी सरकार और भारतपक्षी कही जानेवाली विपक्षी नेपाली कॉंग्रेस भी भारतीय भूभाग नेपाली दर्शानेवाले नए नक्शे से संबन्धित बिल को संसद मे पास करने मे एकसाथ दिखे। चीन के भारत को घेरने के विस्तृत प्लान मे अब नेपाल को भी चीन अपने साथ रखने मे कामियाब दिख रहा है। फिर भी नेपाल से भारत के पुराने दोस्ताना रिश्ते रहे है। प्राचीन काल मे तो नेपाल भारत वर्ष का ही भाग हुआ करता था। अंग्रेज़ शासन के समय अन्य राजाओ की ही तरह नेपाल भी अंग्रेज़ो के प्रभाव मे पर स्वतंत्र रहा और आजादी के बाद से दुनिया मे अकेला हिन्दू राष्ट्र बनकर अपनी राजशाही चलता रहा। हमारे नेपाल से रिश्ते इसी लिए अन्य पड़ोसियो से जरा विशिष्ट रहे है। हिमालय मे स्थित इस छोटे राज्य को दुनिया से जुडने के लिए भारत से होकर जाना है। भारतीय को नेपाल मे और नेपाली को भारत मे पासपोर्ट वीसा की जरूरत नहीं होती। आज का महोल चाहे कुछ भी हो मै कुछ समय पहले की बात रखने जा रही हूँ।
1 जून 2001 याने आज से ठीक 19 साल पहेले का दिन था। उस वक्त नेपाल मे माओवादी आंदोलन और प्रजा का शासन के विरुद्ध आंदोलन चल रहा था। वीरेंद्र वीर विक्रम शाह नेपाल नरेश थे और नेपाल विश्व मे एक मात्र हिन्दू राजाशाही राज्य था। समयान्तरे उन्होने भी बहुत सारे अधिकार लोगो के हाथ यानि संसद को दिए थे फिर भी राज्य उनके हाथो मे था। 1 जून की उस रात शाही महल मे पूरा शाही परिवार दिनार पार्टी के लिए एकत्रित था। एसे मे युवराज दीपेन्द्र ने अंधाधुंध गोलीबारी करके सपुरे शाही परिवार को मौत की नींद सुला दिया। घटना की तपास के लिए बनी दो सदस्यो वाली टिम ने युवराज दीपेन्द्र को हत्याकांड का जिम्मेदार माना। हत्याकांड की वजहों मे युवराज दीपेन्द्र की शादी के लिए उनकी पसंद की लड़की के बारे मे मतभेद निमित्त था ऐसा जान पड़ा। एक सप्ताह बाद जांच टिम ने अपनी रिपोर्ट दी। पर नेपाली लोगो को रिपोर्ट मे कई विरोधभस होने के कारण जांच पूर्णत: संतुष्ट नहीं कर पाई।
बाद मे युवराज दीपेन्द्र को नरेश घोषित किया गया। जो की हत्याकांड के समय खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने के प्रयास मे गंभीर रूप से घायल हो कर कोमा मे थे। तीन दिन बाद उनकी हॉस्पिटल मे मृत्यु के उपरांत कूवर ज्ञानेन्द्र को नरेश घोषित किया गया। उसके बाद से अब तक क्रमश: राजाशाही खतम हुई और नेपाल लोकशाही बना यह इतिहास हमारी नजारो के सामने घटित हुआ है और सभी को ज्ञात है।
दुनिया मे अनेक राजाशाही वंश आए और अपने समय मे अपना रोल निभाकर विश्व पटल से अद्रश्य हुए है। इसी तरह यह राजाशाही और नेपाल नरेश का वंशीय शासन भी खतम हुआ। कारण चाहे कोई भी रहे हो पर इस वंश की समाप्ति खूनी हत्याकांड के कारण हुई। हमारे पडोशी और सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक जुड़ाव भारत के साथ होने से आज हम उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करते है जिनकी उस हत्याकांड मे जान गई। ॐ शांति॥
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