मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी राजे भोसले की माता राजमाता जीजाबाई का जन्म (12 जनवरी 1598) सिंदखेड़ नामक गाँव में हुआ था। यह स्थान वर्तमान में महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत में बुलढाणा जिले के मेहकर जनपद के अन्तर्गत आता है। उनके पिता का नाम लखुजी जाधव तथा माता का नाम महालसाबाई था।
जीजाबाई का विवाह शाहजी के साथ कम उम्र में ही हो गया था। उन्होंने सदैव अपने पति का राजनीतिक कार्यो मे साथ दिया। शाहजी ने तत्कालीन निजामशाही सल्तनत पर मराठा राज्य की स्थापना की कोशिश की थी। लेकिन वे मुगलों और आदिलशाही के संयुक्त बलों से हार गये थे। संधि के अनुसार उनको दक्षिण जाने के लिए मजबूर किया गया था। उस समय शिवाजी की आयु 14 साल थी अत: वे मां के साथ ही रहे। बड़े बेटे संभाजी अपने पिता के साथ गये। जीजाबाई का पुत्र संभाजी तथा उनके पति शाहजी अफजल खान के साथ एक लड़ाई में मारे गये। शाहजी मृत्यु होन पर जीजाबाई ने सती (अपने आप को पति के चिता में जल द्वारा आत्महत्या) होने की कोशिश की, लेकिन शिवाजी ने अपने अनुरोध से उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
वीर माता जीजाबाई छत्रपति शिवाजी की माता होने के साथ-साथ उनकी मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत भी थीं। उनका सारा जीवन साहस और त्याग से भरा हुआ था। उन्होने जीवन भर कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए भी धैर्य नहीं खोया और अपने पुत्र ‘शिवा’ को वे संस्कार दिए, जिनके कारण वह आगे चलकर हिंदू समाज का संरक्षक ‘छात्रपति शिवाजी महाराज’ बना। राजमाता जीजाबाई यादव उच्चकुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली थी। जीजाबाई यादव वंश की थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामन्त थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओँ को भली प्रकार समझने लगे थे।
एक स्त्री जब अपना रोल पत्नी का हो या फिर माता का, राजमाता का हो या फिर गृहिणी का, सही से निभाए तो चमत्कारिक परिणाम आते है। राजमाता जीजाबाई ने अपने पुत्र को जिस ऊंचाई पर जाना था उसकी शिक्षा शुरुआत से आरंभ कर दी थी। समय समय पर शिवाजी महाराज के लिए गए निर्णयो और उठाए गए कदमो मे उनकी मटा की शिक्षा का बड़ा प्रभाव दिखाता है। छोटे से जगीरदार से विशाल मराठा साम्राज्य को खड़ा करने मे जो धीरज और समय पर कदम उठाने का गुण चाहिए वो उन्होने माता से पाया था।
आज भी हम राजमाता जीजाबाई के चरित्र से पेरंटिंग सीख सकते है। भारतीय संस्कृति के महान पात्रो एवं हमारे महाभारत और रामायण के प्रसंगो से जीजाबाई ने शिवाजी को ना सिर्फ बचपन मे ही अवगत कराया पर जीवन मे यथा प्रसंग उनसे प्रेरणा लेकर एक प्रभावशाली हिन्दू साम्राज्य खड़ा करवाया जो अगले बड़े कालखंड तक समस्त भारत के पटल पर अमित छाप बना गया।
17 जून 1674 को उनका देहान्त हुआ।
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