विश्व पशु कल्याण दिवस एक बेहतरीन दिवस है, जो विश्व भर के लोगों का जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करने का महत्वपूर्ण दिवस है, लेकिन इस दिवस के उजागर होने के पीछे भी कई कारण हैं। जहाँ पशुओं की विभिन्न प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने और उनकी रक्षा करने की बात है, वहीं हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हम पशुओं पर क्रूरता करने से बचें।
उद्देश
इस दिवस का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधों को मजबूत करना था। साथ ही पशुओं के कल्याण के सन्दर्भ विश्व पशु कल्याण दिवस का आयोजन करना है। ताकि उनके प्रति संवेदना स्थापित करने के साथ-साथ पशुओं की हत्या और क्रूरता पर रोक लगायी जा सके। गोहत्या पर पूर्ण पाबन्दी लगायी जाये। पिछले कुछ महीनों से गायों की सुरक्षा को लेकर पूरे भारत में जोश की एक लहर फैली थी, जिस पर कई राजनैतिक मुद्दे भी उठे, लेकिन पशु क्रूरता की कहानी जैसे समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती। जबकि हम सभी जानते हैं कि भारत में, पशुओं की सुरक्षा के लिए “जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम 1966″ को लाया गया था। ये जानते हुए भी ये क्रूरता जारी है।
भारत मे गौहत्या प्रतिबंध
एक जानकारी के मुताबिक भारत के 29 में से 10 राज्य ऐसे हैं, जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस को काटने और उनका मांस खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बाक़ि 18 राज्यों में गो-हत्या पर पूरी या आंशिक रोक है। ये रोक 11 राज्यों– भारत प्रशासित कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दो केन्द्र प्रशासित राज्यों– दिल्ली, चंडीगढ़ में लागू है। गो-हत्या क़ानून के उल्लंघन पर सबसे कड़ी सज़ा भी इन्हीं राज्यों में तय की गई है। हरियाणा में सबसे ज़्यादा एक लाख रुपए का जुर्माना और 10 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है। वहीं महाराष्ट्र में गो-हत्या पर 10,000 रुपए का जुर्माना और पांच साल की जेल की सज़ा है।