स्वामी विवेकानंद के विचार हमे जीवन जीने की कला सिखाते है। इसका जितना प्रचार प्रसार हो कम है।
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शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है.
विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है,
प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।
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यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है,
लेकिन जो दुसरो के लिए जीते है, वे वास्तव में जीते है।
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यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता,
तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
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हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है,
इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि
आप क्या सोचते हैं।
शब्द गौण हैं.
विचार रहते हैं,
वे दूर तक यात्रा करते हैं।
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ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं।
वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!
कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है।
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कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है।
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