जानीयात्प्रेषणे भृत्यान्बान्धवान् व्यसनागमे । मित्रं चापत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥ (१/११) ॥ भावार्थ:- नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा…
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जानीयात्प्रेषणे भृत्यान्बान्धवान् व्यसनागमे । मित्रं चापत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥ (१/११) ॥ भावार्थ:- नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा…