Press "Enter" to skip to content

केल्लूर नीलकंठ सोमयाजी – प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ

Rina Gujarati 0
केल्लूर नीलकंठ सोमयाजी

आज की दिन महिमा की इस पोस्ट को देखके आप सब चौंक जाओगे। बात दर असल ये है की भारत मे पहले लोग अपने बारे मे कम लिखते थे। बहुत बड़े बड़े लोगो का काम हमारे सामने है, पर उनके बारे मे कम जानकारी मिलती है। कुछ महान लोगो के जीवन काल के बारे मे 1000 सालो तक के फासले विद्वान दिखाते है। पर आज मै जिनके बारे मे बताने जा रही हूँ, उनके खुद के लिखे ग्रंथो मे और उनके शिष्यो ने लिखे ग्रंथो से उनका सही समय मालूम पड़ता है, इस लिहाज से भी नीलकंठ सोमयाजी अन्य भारतीय विद्वानो से भिन्न है।

अपने समय की सचोट जानकारी देनेवाले विद्वान

अब उनके कार्य के बारे मे भी बड़ी सचोटता से जानकारी उपलब्ध है। वे महान गणितज्ञ थे। साथ मे खगोल के भी विद्वान थे। यूरोपीय दुनिया जब गणित और खगोल के ज्ञान मे बहुत कम जानकारी रखती थी, उन्होने इन दोनों क्षेत्रो मे ठोस कार्य किया था।

केरल स्कूल ऑफ एस्ट्रोनोमी एंड मेथेमेटिक्स

केल्लूर नीलकंठ सोमयाजी भारत में केरल स्कूल ऑफ एस्ट्रोनॉमी और गणित के एक प्रमुख गणितज्ञ और खगोलविद थे। उनके सबसे प्रभावशाली कामों में से एक 1501 में पूरा किया गया व्यापक खगोलीय ग्रंथ तंत्रशास्त्र था। उन्होंने आर्यभटीय पर एक विस्तृत टीका भी लिखी थी जिसे आर्यभटीय भाष्य कहा जाता है। इस भास्य में, नीलकंठ ने त्रिकोणमितीय कार्यों और बीजगणित और गोलाकार ज्यामिति की समस्याओं के अनंत श्रृंखला विस्तार पर चर्चा की थी। केल्लूर चोमाथिरी के नाम से लोकप्रिय ग्रहाप्रीक्षरामा उस समय के उपकरणों के आधार पर खगोल विज्ञान में अवलोकन करने के लिए एक मैनुअल है। उन्हें कोट्टेसरी परमेस्वरन कुंडिसोरी के बराबर माना जाता है।


नीलकंठ सोमयाजी ने रवि नाम के विद्वान से वेदांत और खगोल विज्ञान के कुछ पहलुओं का अध्ययन किया। हालांकि, वो परमेस्वर के लेखक केरल-ड्रगनिता के पुत्र दामोदर थे, जिन्होंने उन्हें खगोल विज्ञान के क्षेत्र में शुरूआती शिक्षा दी और गणितीय संगणना के बुनियादी सिद्धांतों में निर्देश दिया। कहा जाता है कि महान मलयालम कवि थुंचतथु रामानुजन एज़ुथचन नीलकंठ सोमयाजी के छात्र थे।

सोमयाजी – जिसने सोमयज्ञ का वैदिक अनुष्ठान किया है।

जिसने सोमयज्ञ का वैदिक अनुष्ठान किया है उसे नम्पुति द्वारा सौंपा या ग्रहण किया जाने वाली एक उपाधि है जो सोमयाजी कहलाती है। इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नीलकंठ सोमयाजी ने भी सोमयाजन अनुष्ठान किया था और बाद के जीवन में सोमयाजी की उपाधि धारण की थी। बोलचाल की भाषा में मलयालम के उपयोग में सोमयाजी शब्द कोमटिरी को दूषित कर दिया गया है।

अनेक विषयो के ज्ञाता

नीलकंठ के लेखन में भारतीय दर्शन और संस्कृति की कई शाखाओं के बारे में उनका ज्ञान है ये बात स्वयम सिद्ध है। । यह कहा जाता है कि वे एक ही बहस में अपने दृष्टिकोण को स्थापित करने के लिए पिंगला के चंडास-सूत्र, धर्मग्रंथों, धर्मशास्त्रों, भागवत और विष्णुपुराण से भी विस्तार से उदाहरण दे सकते थे।

एसे महान विद्वान की जन्म तिथि हमे ज्ञात है, इस लिए हम आज उनके जन्म दिन पर प्रणाम कर खुद को धन्य महेसूस कर रहे है।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

More Posts - Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *