Father’s Day या पितृ दिवस वैसे तो पाश्चात्य देशो का उत्सव या दिन है। पर अब हमारे यहाँ भी उसका महत्व बढ़ा है। वरना हमारी संस्कृति मे तो हर दिन माँ-बाप को प्रणाम करके ही उनका सम्मान करते थे, अभी भी बहुत से घरो मे यही हो रहा है। खैर, सभी मानते है तो हम भी पितृ दिवस मनाए। आज के दिन पिता को याद करके, उनके उपकारो की कदर करे ये भी सही है।
आज के इस दिन पे पिता के बारे मे जो लिखा है उसे आपके समक्ष वैसे का वैसा रखता हूँ। हमारा Father’s Day उनके लिए सम्मान प्रकट करने के इस तरीके से कुछ अलग बन जाएगा।
पिता या पापा
यूं तो जिन्दगी मे बहुत से रिश्ते देखे है,
पर मेरे पापा के सामने वो सारे फीके है..
यूं तो सब लोग कहकर भी मुकर जाते है,
पापा वो है जो बिन कहे ही सब कर जाते है..
बाहर से सख्त और भीतर से नर्म होते है,
पापा वो है जो बच्चो मे फर्क नही करते है..
सख्त सी आवाज के पीछे निश्छल प्यार छिपाते है पापा,
नयी कर लो कभी खुद की फटी पुरानी जरूरते भी पापा..
छोटी सी नौकरी मे भी मेरी हर बड़ी ख्वाहिश पूरी करते,
हमारी खुशी को सम्भव करने वाले ये क्या किसी जादूगर से कम होते..
वो न दिन देखते है न रात देखते है,
बस हमारी जरूरतो के लिए अपनी पूरी उम्र बेच देते है..
मुश्किलो की कड़ी धूप खुद अकेले ही सहकर,
सुख की ठंडी छाँव मे ही हमे देते है..
पिता जिंदगी का वो अटूट विश्वासरुपी धागा है,
जो हमारे गिरने से पहले ही हाथ थाम लेते है..
घर का अस्तित्व और आधार जिनसे होता है,
पिता वो है सहनशक्ति का अम्बार जिसमे होता है..
अप्रदर्शित अनन्त प्रेम का जो स्वरुप होता है,
पिता का स्नेह बड़ा ही अनूठा कभी खट्टा तो कभी मीठा होता है..
जब कमर झुक जाती है हमारी खुशीयों की दीवार खड़ी करते करते,
और आँखें भी बूढ़ी हो जाती है अपनी हैसियत से ज्यादा करते करते ..
बस अब बुढ़ापे मे उनकी आशाओ को अनाथ न करना,
अब हमारी बारी है कभी उनको निराश न करना..