अपुत्रत्वं भवच्छ्रेयो न तु स्याद्विगुणः सुतः ।
जीवन्नप्यविनीतोSसौ मृत एव न संशयः ॥
भावार्थ:
एक गुणहीन पुत्र के होने से तो पुत्र हीन होना ही श्रेयस्कर है क्योंकि ऐसा पुत्र जीवनपर्यन्त दुर्व्यवहार करने वाला, दुःख दायी तथा असहनशील होता है और इस में कोई संशय नहीं कि ऐसे पुत्र का मृत होना ही श्रेयस्कर है।
English
Aputratvam bhavacchreyo na tu syaadvigunah sutah.
Jeevannpyavineetosau mruta eva na sanshyah.
It is better not to have a son rather than having a worthless son without any virtues, because so long he will be alive he will be rude, intolerant, and incapable. No doubt, such a worthless son be dead rather than remain alive.
कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है।
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