नारायण मेघजी लोखंडे भारत मे मिल मजदूरो और किसानो का संगठन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता थे।
मजदूर आंदोलन के अग्रदूत
लोखंडे को हम मजदूर आंदोलन के अग्रदूत भी कह सकते है। उनसे पहले किसी ने भारत मे मजदूर एकता, संगठन और मजदूरो के हक के लिए व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से परिणामलक्षी कार्य नहीं किया था।
महात्मा ज्योतिबा फुले के निकट सहयोगी नारायण मेघजी लोखंडे अपने ज्ञाति और धर्म के बारे मे विचारो के लिए भी याद किए जाते है। उन्होने धर्मिक एकता और ज्ञातिओ के बीच सामंजस्य, भाईचारा और एकता के लिए कार्य किया।
नारायण मेघजी लोखंडे भारत मे ट्रेड यूनियन आंदोलन के पिता कहे जाते है। सन. 1880 से उन्होने मुंबई से प्रकाशित ‘दीनबंधु’ का समस्त कार्य अपने हाथो मे लिया। लोखंडे के साथ साथ फुले ने भी मुंबई मे मजदूरो की सभा को संबोधित किया था। एक खास बात यह भी है की मुंबई मे ज्योतिराव फुले, कृष्णराव भालेकर और नारायण मेघजी लोखंडे ने सबसे पहेले मजदूर और किसानो के लिए संगठन का काम किया, उनके पूर्व किसीने एसा व्यवस्थित संगठन नहीं किया था।
सबसे पहेला मजदूर यूनियन
देश का सबसे पहेला मजदूर यूनियन ‘बॉम्बे मिल हेंड्स एसोसिएशन’ की स्थापना कर लोखंडे मजदूर आंदोलन के अग्रदूत बने। देश की उस समय की स्थिति यह थी की मिलो और कारखानो मे मजदूरो को कई घंटों तक काम करना पड़ता था। छुट्टी की तो कोई बात ही नहीं। अंग्रेज़ रविवार को चर्च मे प्रार्थना करते थे इस लिए उनके लिए रविवार छुट्टी का दिन था। पर भारतीय मजदूरो को सप्ताह के सभी दिन काम करना होता था।
रविवार की छुट्टी के लिए संगर्ष
रविवार की छुट्टी घोषित करवाने मे लोखंडे ने अंग्रेज़ सरकार से सात साल तक संगर्ष किया। तब जा के 10 जून 1890 के दिन से रविवार की छुट्टी की घोषणा हुए। एक दिलचस्प बात यह है की छोटी छोटी बातो के लिए नोटिफिकेशन जारी करने वाली अंग्रेज़ सरकार ने इस विषय मे कभी कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।
साप्ताहिक छुट्टी के उपरांत लोखंडे के प्रयत्नो से मजदूरो को मिले अन्य हकको मे निम्नलिखित बाते शामिल है।
मिल मजदूरो को दोपहर मे रिशेष मिलना।
हर महीने की 15 तारीख से पहेले वेतन मिलना।
मिल सूर्योदय होने के बाद खुलेगी और सूर्यास्त होने से पहेले काम बंध होगा।
और भी कई छोटे छोटे पर मिल मजदूरो के लिए महत्वपूर्ण सुधार हुए।