अभी रह तो शुरू हुई है, मंजिल बैठी दुर है | उजियाला महलो में बंदी, हर दीपक मजबूर है ||
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चट्टानों की प्यास कैसे बुझाई जा सकती है ?
चट्टान का अर्थ है वे लोग जो भेदभावों के जुल्म सहते-सहते पत्थर जैसे कठोर हो गए है | हमें उन लोगो के साथ समानता व्यवहार करना है | उन्हें भी अपनत्व प्रदान करना है | इस प्रकार का शीतल जल देकर चटानो की प्यास बुझाई जा सकती है |
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कविता के अनुसार अब तक किना चीजो का बटवारा हो चुका है ?