अभी रह तो शुरू हुई है, मंजिल बैठी दुर है | उजियाला महलो में बंदी, हर दीपक मजबूर है ||
कविता के अनुसार अब तक किना चीजो का बटवारा हो चुका है ?
चट्टानों की प्यास कैसे बुझाई जा सकती है ?
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इंसान को बाटने का अर्थ क्या है ?
सभी मनुष्यो को सामान दृष्टि से न देखना | आज उचा-नीचे, जाती-पाती, गोरा-कला आदि भेद कर लोगो में अलगाव की भावना पैदा कर दी गई है | सभी मनुष्यो के रक्या में एक ऐसी लालिमा तथा उनमे एक जैसी भावनाओ की अनदेखी करकेवल उनके बाहरी स्वरूप पर ध्यान दिया गया है | इस प्रकार इंसान का वटवारा किया जाता है |