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बाबा भआरती ने खड़गसिंह से प्राथना की थी की वह घोड़ा भले ही ले जहा, पर घोड़ा हथियाने की यह घटना किसीके सामने प्रकट न करे | जिस तरह छल-कपट करके उसने घोड़ा बाबासे छीना, उसे सुनकर लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे |
बाबा भारती के ये शब्द डाकू खड़गसिंह के कानो में गुजते रहे | उसे लगा की बाबा आदमी नहीं, देखता है | उन्हें अपनी हानि की नहीं, गरीबो के नुकसान की चिता है | ऎसे उचे विचारोवाले पुरुष को धोखा देकर उसने अच्छा नहीं किया | उसे उनका घोड़ा लौटा देना चाहिए | इस प्रकार खड़गसिंह का हृदय परिवर्तन हुआ |
खड़गसिंह ईसा इलाके का ............. डाकू था |