निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
इसमें दास्य भाव दर्शाया गया है। भगवन के दर्शन की प्यासी मीरा सेविका बनकर ही उनके दर्शन पाना चाहती हैं। इसमें मीरा कृष्ण की चाकरी करने के लिए तैयार है क्योंकि इससे वह उनके दर्शन, नाम, स्मरण और भावभक्ति पा सकती है। राजस्थानी और ब्रज भाषा का मिश्रित रूप हैं। अनुप्रास अलंकार, रुपक अलंकार और कुछ तुकांत शब्दों का प्रयोग भी किया गया है।
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