भोर के नभ को राख से लीपा गीला चौका क्यों कहा गया है? - Zigya
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भोर के नभ को राख से लीपा गीला चौका क्यों कहा गया है?


कविवर शमशेर बहादुर सिंह ने भोर के नभ को राख से लीपा गीला चौका इसलिए कहा गया है क्योंकि सुबह का आकाश कुछ-कुछ धुंध के कारण मटमैला व नमी- भरा होता है। राख से लीपा हुआ चौका भी सुबह के इस कुदरती रंग से अच्छा मेल खाता है। अत: उन्होंने भोर के नभ की उपमा राख से लीपे गीले चौके से की है। इस तरह यह आकाश राख से लीपे हुए गीले चौके के समान पवित्र है।

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शमशेर बहादुर सिंह

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