नीचे लिखे काव्याशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-अभी न होगा मेरा अंतअभी-अभी ही तो आया हैमेरे वन में मृदुल वसंत-अभी न होगा मेरा अंत ।हरे-हरे ये पात,डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-करफेरूँगा निद्रित कलियों परजगा एक प्रत्युष मनोहर।कवि अलसाई कलियों को क्यों जमाना चाहता है? - Zigya
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नीचे लिखे काव्याशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत ।

हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्युष मनोहर।
कवि अलसाई कलियों को क्यों जमाना चाहता है?
  • कवि प्रकृति के अवसाद व आलस्य को समाप्त करना चाहता हैं।
  • वह कली जैसा कोमल होना चाहता है ।
  • कवि कलियों को छूकर उन्हें अपने प्रेम का अहसास करवाना चाहता है।
  • कवि कलियों को छूकर उन्हें अपने प्रेम का अहसास करवाना चाहता है।


A.

कवि प्रकृति के अवसाद व आलस्य को समाप्त करना चाहता हैं।
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