बंद दरवाजे खोल देना –इसका अर्थ है कि जहाँ पहले सुनवाई नहीं होता थी, वहाँ अब बात सुनी जाती है। जहाँ पहले अपमान होता था, वहाँ अब मान-सम्मान होता है। यदि आदमी की पोशाक अच्छी होती है तो लोग उसका आदर सत्कार करते है। उसे कही भी आने-जाने से रोका नहीं जाता उसके लिए सभी रास्ते खुले होते है।
निर्वाह करना-पेट भरना, घर का खर्च चलाना, कमाकर परिवार का पालन पोषण करना। भगवाना सब्जी तरकारी बोकर परिवार का निर्वाह करता था।
भूख से बिलबिलाना-भूख के कारण तड़पना, भूख से रोना खाने-पीने की सामग्री न होने के कारण बुढ़िया के पोते-पोतियाँ भूख से व्याकुल हो रहे थे। घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगती है तो बच्चे भूख से बिलबिलाने लगते हैं।
कोई चारा न होना- कोई उपाय न होना। भगवाना की माँ के पास अपने पोता-पोती को पेट भरने के लिए तथा बहू की दवा-दारु करने के लिए पैसे नहीं थे। कोई उधार भी नहीं देता था। घर में जब कमाई का कोई उपाय नहीं रहता तो दुख भरे क्षणों में भी कमाई के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। बुढ़िया के पास इसके अतिरिक्त कोई साधन नहीं था कि वह बाजार में खरबूजे बेचने जाती।
शोक से द्रवित हो जाना- दुख से हृदय पिघल जाना लेखक खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया के रोने से दुःखी था। किसी के दुःख को देखकर स्वयं भी दुःखी होने का भाव प्रकट होता है। प्रतिष्ठित लोगों के दुःख को देखकर लोगों के हृदय पिघलने लगते है। उन लोगों के दुःख को प्रकट करने का तरीका अत्यन्त मार्मिक होता है।