निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें:
छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले हुए आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
( a ) कप 'A' को खली रखो।
( b ) कप 'B' में एक चम्मच चीनी डालो।
( c ) कप 'C' में एक चम्मच नमक डालो। तथा
( d ) उबले हुए आलू से बनाए गए कप 'D' में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चरों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो।
( i ) 'B' तथा 'C' से खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
( ii ) 'A' आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
( iii ) 'A' तथा 'D' आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
( i ) कच्चे आलू के कप 'B' तथा 'C' की कोशिकाओं कि वर्णनात्मक पारगम्य लोशिका कला के कारण, इनमें अंत: परासरण क्रिया के फलस्वरूप जल संग्रह हो जाता है। चीनी तथा नमक के कारण कप की कोशिकाओं कि सांद्रता बढ़ जाती है। अति परासरी विलयन के कारण बर्तन से जल आलू के खोखले भाग में एकत्र हो जाता है।
( ii )आलू का खोखला कप नियंत्रण उपकरण कि तरह कार्य करता है। 'B', 'C' तथा 'D' आलू में होने वाले परवर्तनों की 'A' से तुलना करते हैं। आलू की कोशिकाएँ जल अवशोषित करके स्फिट हो जाती हैं, लेकिन इसके खोखले भाग में जल संग्रह नहीं होता।
( iii ) 'A' आलू के कप की कोशिकाओं से बर्तन में चला जाता है। आलू के कप की कोशिकाओं से बर्तन में चला जाता है। 'D' आलू के कप की कोशिकाओं में मृत हो जाने के कारण परासरण क्रिया नहीं होती। अत: 'A' तथा 'D' में जल की मात्रा में वृद्धि नहीं होती।