हिमालय से न

गोदावरी नदी को दक्षिणी गंगा क्यों कहा जाता है ?


गोदावरी प्रायद्वीपीय क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है। इसकी लम्बाई लगभग 1500 किलो मीटर है। यह नदी तंत्र महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश तथा आँध्रप्रदेश में फैला हुआ हैं । इसकी लम्बी दूरी तय करने और वृहत क्षेत्रो में फैले होने के कारण गोदावरी नदी को दक्षिणी गंगा के नाम से जाना जाता है। यह नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चिमी ढाल से निकलती है और पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है।


सिंधु नदी तंत्र पर एक नोट लिखें?


सिंधु नदी तिब्बत मे मानसरोवर झील के निकट से निकलती है और दक्षिण पश्चिम में बहती हुई अरब सागर में गिर जाती है। इसकी लम्बाई लगभग 2900 किलो मीटर है। इसकी मुख्य सहायक नदियाँ सतलुज, रावी, व्यास, झेलम है। सिंधु नदी तंत्र में सम्मलित नदियों के बँटवारे के लिए भारत और पाकिस्तान में संधि हो रखी है जिसे सिंधु जल संधि कहा जाता है। इस संधि के अनुसार सतलुज, व्यास और रावी नदियों के पानी का प्रयोग भारत करता है। जबकी चिनीब झेलम और सिंध नदी के पानी का प्रयोग पाकिस्तान करता है। भारत इन नदियों के पानी का प्रयोग 20 प्रतिशत करता है। बाकि 80 प्रतिशत पानी का प्रयोग पाकिस्तान करता है।


ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र पर एक नोट लिखें?


ब्रह्मपुत्र नदी विश्व की सबसे लंबी नदी है परन्तु इसका अधिकतर भाग भारत के बाहर बहता है। ब्रह्मपुत्र नदी का उदगम तिब्बत के पूर्व मानसरोवर झील से है। यह हिमालय के समानांतर पूर्व की और बहती है। यह तिब्बत में सांगपो एवं बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है। तिब्बत एक शीत एवं शुष्क क्षेत्र है। इसलिए यहाँ इस नदी में जल एवं सिल्ट की मात्रा कम होती है।
नामचा बारवा शिखर के पास पहुँचकर यह अंग्रेजी के (U) अक्षर जैसा मोड़ बनाकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है। यहाँ इसे दिहांग के नाम से जाना जाता है तथा दिबांग, लोहित, केनुला एवं दूसरी सहायक नदियाँ इससे मिलकर असम में ब्रह्मपुत्र का निर्माण करती हैं।
भारत में यह उच्च वर्षा वाले क्षेत्र से होकर गुजरती है। यहाँ नदी में जल एवं सिल्ट की मात्रा बढ़ जाती हैं। असम में ब्रह्मपुत्र अनेक धाराओं में बहकर एक गुंफित नदी के रूप में बहती हैं तथा बहुत से नदीय द्वीपों का निर्माण करती हैं । प्रत्येक वर्ष वर्षा ऋतु में यह नदी अपने किनारों से ऊपर बहने लगती है एवं बाढ़ के द्वारा असम तथा बांग्लादेश में बहुत अधिक क्षति पहुँचाती है।


बारहमासी और ऋतुगत नदियाँ किसे कहते है?


  1. नदियाँ जो पूरे वर्ष बहती है वे बारहमासी नदियाँ कहलाती है। उनमें ज़्यादा या कम पर गति पूरे वर्ष भर रहती है जैसे कि गंगा।
  2. नदियाँ जो पूरे वर्ष नहीं बहती है उन्हे ऋतुगत नदियाँ कहते है। ये ऋतुगत नदियाँ है जो वर्षा ऋतु में बहती है और शुष्क ऋतु में सूख जाती हैं। जैसे कि सुवर्ण रेखा ।
  3. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बारहमासी नदियाँ है। उनका स्त्रोत बर्फ के मैदान और ग्लेसियर है। मानसून के दौरान हिमालय क्षेत्र में भारी वर्षा होती है जिसके कारण उन नदियों में पानी का प्रवाह बढ़ जाता है।

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हिमालय से निकलने वाली नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों में अन्तर बताएँ ?

 


हिमालय से निकलने वाली नदियाँ:

  1. ये नदियाँ हिमनद से निकलती है इसलिए ये नदियाँ साल भर बहती रहती है। इनका पानी कभी समाप्त नही होता है।
  2. ये नदियाँ समतल उत्तरी मैदान से बहती है इसलिए ये नदियाँ सिंचाई और जहाजरानी के लिए उपयोगी है।
  3. ये नदियाँ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी लाती है जिसे मैदानी भागो में बिछा देती है।
  4. इन नदियों से नहरे निकाल कर सिंचाई की व्यवरथा की गई है।
  5. इन नदियों के किनारे पर नगर और व्यापार केन्द्र स्थित है।

प्रायद्वीपीय नदियाँ:

  1. ये नदियाँ उन पर्वतों से निकलती है जहाँ हिमछादित नही होती तथा ग्रीष्म में यह सुख जाती है।
  2. ये नदियाँ विषन चट्टानी धरातल पर बहती है, इसलीए ये नदियाँ सिंचाई के लिए उपयोगी नही है और न ही जहाजरानी के लिए।
  3. प्रायद्वीपीय नदियाँ अपने साथ दोमट मिट्टी नही लाती।
  4. इन नदियों का पथरीला धरातल होने के कारण, नदियों के किनारे नहरें नही निकाली जा सकती। अत: इससे सिचाई असंभव है।
  5. इन नदियों के किनारे बहुत कम बड़े नगर और व्यापार के केन्द्र है।


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