सन् 1962 में भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर यह गीत लिखा गया है। चीन ने तिब्बत की ओर से आक्रमण किया और भारतीय वीरों ने इस आक्रमण का मुकाबला वीरता से किया। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर चेतन आनंद ने 'हकीकत' फिल्म बनाई थी। यह गीत इसी फिल्म के लिए लिखा गया था।
जिन गीतों में हृदय स्पर्शी भाषा, मार्मिकता, सच्चाई, गेयता, संगीतात्मकता, लयबद्धता, गीत का जीवन से संबंध आदि गुण होते हैं, वे गीत जीवन भर याद रहते हैं। 'कर चले हम फ़िदा' गीत में बलिदान की भावना स्पष्ट रुप से झलकती है। इसलिए यह किसी एक विशेष व्यक्ति का गीत न बनकर सभी भारतीयों का गीत बन गया।
कवि ने ‘साथियों’ शब्द का प्रयोग सैनिक साथियों व देशवासियों के लिए किया है। सैनिकों का मानना है कि इस देश की रक्षा हेतु हम बलिदान की राह पर बढ़ रहे हैं। हमारे बाद यह राह सूनी न हो जाए। देशवासियों का परस्पर साथ ही देश की अनेकता में एकता जैसी विशिष्टता को मज़बूत बनाता है।आने वाले भी देश की मान-सम्मान की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देने को तैयार रहें।