कर चले हम फ़िदा - कविता क�
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'कर चले हम फ़िदा'- कविता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को उल्लेख करते हुए उसका प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

 


 अपने देश के सम्मान और रक्षा के लिए सैनिक हर चुनौतियों को स्वीकार करके अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं। अपनी अंतिम साँस तक देश के मान की रक्षा कर उसे शत्रुओं से बचाते हैं। कवि इसमें देशभक्ति को विकसित करके देश को जागरुक करना चाहता है। यह कविता सन 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है। कवि एक सैनिक के मन के भाव और उसके दर्द को व्यक्त करता है। इसके अंदर एक सैनिक देशवासियों से निवेदन करता है कि उसने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग कर दिया है। उसके बाद उन्हें ही देश की रक्षा करना होगी।

 

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएः
(क) बिहारी ने ईश्वर प्राप्ति में किन साधनों को साधक और किनको बाधक माना है?
(ख) महादेवी वर्मा अपने दीपक को किस प्रकार जलने के लिए कह रही है और क्यों?
(ग) कर चले हम फ़िदा गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है? 


(क) बिहारी के अनुसार ईश्वर को केवल सच्ची भक्ति से ही पाया जा सकता है| हाथ पर हाथ धरे केवल माला लेकर जपने या फिर माथे पर चंदन का तिलक लगाकर या भजन गाने से नहीं |यह सभी  बाहरी आडंबर हैं  इस प्रकार के आडंबरों से ईश्वर की सच्ची प्राप्ति नहीं की जा सकती |

 (ख) कवियत्री अपनी आस्था रूपी दीपक से निरंतर हर परिस्थिति में हंसते-हंसते  जलने के लिए कह रही है |क्योंकि उसके अनुसार दीपक के जलने से इस  तारों रुपी संसार के लोगों को राहत मिलती है| लोगों के अंदर ईश्वर के प्रति विश्वास धुंधला हो रहा है |थोड़ा सा कष्ट आने पर वह दुखी हो जाते हैं इसीलिए तेरा जलनाअति आवश्यक है तुझे जलता हुआ देखकर उनमें भी ईश्वर के प्रति विश्वास बना रहेगा|
 (ग) यह गीत सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। चीन ने तिब्बत की ओर से आक्रमण किया और भारतीय वीरों ने इस आक्रमण का मुकाबला वीरता से किया था।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ?
(क) मैथिलीशरण गुप्त ने गर्वरहित जीवन बिताने के लिए क्या तर्क दिए हैं?
(ख) बिहारी ने माला जपने और तिलक लगाने को व्यर्थ कहकर क्या संदेश देना चाहा है?
(ग) 'कर चले हम फिदा' कविता में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है? 


(क) कवि ने गर्वरहित जीवन बिताने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए हैः
(i) गर्व मनुष्य को पतन के गर्त में ले जाता है। अतः हमें गर्व नहीं करना चाहिए।
(ii) हमें यह याद रखना चाहिए कि परमात्मा सबके साथ है। यहाँ कोई अनाथ नहीं है। अतः हमें उससे डरना चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि वह सबके साथ न्याय करता है।

 

(ख)बिहारी के अनुसार ईश्वर को तो केवल सच्ची भक्ति से ही पाया जा सकता है। हाथ पर माला लेकर जपने तथा माथे पर चन्दन का तिलक लागकर जप करने से वह किसी काम नहीं आता है। यह सब बाहरी आडम्बर हैं। इस तरह के आडम्बरों से ईश्वर को पाया नहीं किया जा सकता। ये साधन साधक के लिए बाधा के समान है।

(ग) एक दूल्हे के लिए उसकी दुल्हन सबसे प्रिय होती है। उसके सम्मान और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उस पर होती है। उसकी रक्षा के लिए वह कुछ भी कर गुजरता है। वैसे ही एक सैनिक अपने देश की धरती की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान तक दे डालता है। अपनी धरती की रक्षा वह एक दुल्हे के समान करता है। इसलिए धरती को दुल्हन कहा गया है।

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