निम्नलिखित प्रशनों के उ
zigya tab
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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:
हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते है?


हीरे के प्रेमी उसे साफ सुथरा, खरादा हुआ और अस्त्रों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना चाहते हैं।
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(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए:
धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?


माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ्‌कर हैं। माँ की गोद से उतरकर बच्चा मातृभूमि पर कदम रखता है। घुटनों के बल चलना सीखता है फिर धूल से सनकर विविध क्रीड़ाएं करता है। शिशु का बचपन मातृभूमि की गोद में धूल से सनकर निखर उठता है। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। यह धूल ही है जो शिशु के मुँह पर पड़कर उसकी स्वाभाविक सुन्दरता को उभारती है। अभिजात वर्ग ने प्रसाधन सामग्री में बड़े-बड़े आविष्कार किए परन्तु शिशु के मुँह पर छाई वास्तविक गोधूलि की तुलना में वह सामग्री कोई मूल्य नहीं रखती।
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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:
लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?

लेखक ने संसार में अखाड़े की मिट्टी में सनने के सुख को दुर्लभ माना है। तेल और मर से सिझाई हुई जिस मिट्‌टी को देवताओं पर चढ़ाया जाता है ऐसी इस अखाड़े की मिट्‌टी को अपनी देह पर लगाना संसार के सबसे दुर्लभ सुख के समान है।
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(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए:
हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

हमारी सभ्यता धूल से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह आसमान में अपना घर बनाना चाहती है। हवाई किले बनाती है। वास्तविकता से दूर रहती है परन्तु धूल के महत्व को नहीं समझती। यह सभ्यता अपने बच्चों को धूल में नहीं खेलने देना चाहती। धूल से उसकी बनावटी सुन्दरता सामने आ जाएगी। उसके नकली सलमें-सितारे धुँधले पड़ जायेंगे। धूल के प्रति उसमें हीनभावना है। इस प्रकार हमारी सभ्यता आकाश की बुलंदियों को छूना चाहती है। वह हीरों का प्रेमी है, धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानती।
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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:
मिट्‌टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?

मिट्‌टी की आभा का नाम ‘धूल’ है। और मिट्‌टी के रंग-रूप की पहचान उसकी धूल से ही होती है।
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