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दत्ता जी राव के पास जाने के बाद लेखक की माँ ने उन्हें किस बात का विश्वास दिलाया?


दत्ता जी राव के पास जाने के बाद लेखक की माँ अपने पति के बारे में सभी बातें बता देती है। उसने उनको यह भी बताया कि उसका पति सारा दिन बाजार में रसमाबाई के पास गुजार देता है। वह खेती के काम में हाथ भी नहीं लगाता रहे, उसका पूरे गाँव में आजादी के साथ घूमने को मिलता रहे, इसलिए वह लेखक की पढ़ाई बंद कराकर उससे खेती करवाना चाहता है। लेखक की माँ ने दत्ताजी राव को उन्ही बातों का विश्वास दिलाया था।

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लेखक के पिता, लेखक से क्या चाहते थे? लेखक उनकी बात को क्यों नहीं मानता है?


लेखक के पिता चाहते थे कि वह खेती का काम करे। वह उसकी पढ़ाई नहीं होने देना चाहते थे। लेखक खेती के महत्त्व को अच्छी तरह समझ रहा था। वह जानता था कि खेती में पूरा जीवन गँवा देने के बाद भी कुछ लाभ नहीं होगा। खेती का महत्त्व लगातार कम हो रहा था। दादा जी के समय खेती का महत्व बहुत अधिक था। पिता के समय में यह महत्त्व कम हो गया और आज के समय में यह खेती लोगों को गड्ढे में धकेल रही है। लोगों के जीवन को कठिन बना रही है। वह पढ़ना चाहता था, जिससे पैसे कमा सके। बाद में वह कुछ व्यापार आदि भी कर सके।

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लेखक की माँ का उसके पिता के बारे में क्या सोचना था? उसकी माँ ने उसका साथ किस प्रकार दिया?


लेखक की माँ, उसके पिता यानि अपने पति के व्यवहार को अच्छी तरह जानती थी। वह जानती थी कि उसको पढ़ना बिलकुल अच्छा नहीं लगता है। पढ़ाई की बात से ही वह खतरनाक जानवर की तरह गुर्राता है। इसके लिए वह उसे ‘बरहेला सूअर’ कहती है। फिर भी उसने अपने बेटे का साथ देने का निर्णय किया। वह उसके साथ दत्ता जी राव के पास जाने के लिए तैयार हो गई।

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लेखक के पिता जल्दी ईख पेरना क्यों चाहते हैं? लेखक का विचार इस संबंध में क्या है?


लेखक के पिता की समझ थी कि अगर ईख पेरना के लिए जल्दी शुरू कर दिया जाय तो ईख की अच्छी खासी कीमत मिल जाती है। लेखक भी उनकी इस सोच को सही बताता है। सभी के कोख चलाने पर बाजार में गुड की अधिकता हो जाती है। गुड का भाव गिर जाता है। गुड की किस्में भी अधिक हो जाती हैं। लेखक के पिता का गुड उम्दा किस्म का नहीं होता। इसलिए पहले ईख पेरवा सही निर्णय है।

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लेखक अपने पिता से पढ़ने जाने के लिए क्यों नहीं कह पाता था?


लेखक का मन पढ़ने के लिए तड़पता था, लेकिन वह अपने पिता से बहुत डरता था। अपने पिता के सामने यह कहने की हिम्मत उसमें नहीं थी कि वह पढ़ने जाना चाहता है। उसे डर था कि उसके पिता मार-मारकर उसकी हड्डी पसली एक कर देंगे।

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