झूम उठे तरुवर उपवन में
छाई हरियाली कानन में
लता पल्लवित पाणि-युगल में
लिए खड़ी उपहार-सुमन।
किसी की स्मृति से हर्षित मन?
फूल खिले फूले न समाते
मोद-भरे मधु गंध उड़ाते
सौरभ-निधि का भार उठाए
बह चला मंद-मंद पवन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन?
मधुपावली सुवाद्य बजाती
कोकिल कूहू तान सुनाती
विहग मंडली हर्ष जनाती
हो गए जन-मन रत नर्तन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन?
हर्ष-तरंग उठी मानस में
नव संचार हुआ साहस में
झंकृति से मानस--वीणा की
सकल हुआ रोमांचित तन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन? -डॉ० रत्न चंद्र शर्मा से आभार सहित।
(i) घेर घेर घोर गगन, धाराधार ओ !
(ii) ललित ललित, काले घुँघराले।
(iii) विद्युत् - छबि उर में, कवि नवजीवन वाले।
(iv) विकल विकल, उन्मन थे उन्मन।