झेन की देन पाठ में जापान
Advertisement

'झेन की देन' पाठ में जापानी लोगों को मानसिक रोग होने के क्या-क्या कारण बताए गए हैं? आप इनसे कहाँ तक सहमत हैं? तर्क सहित लिखिए। 


लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताए हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है,  बोलता नहीं   बकता है, एक महीने का काम  एक दिन में करना चाहता है ,दिमाग हजार गुना अधिक तेजी से दौड़ आता है| अतः तनाव बढ़ जाता है| मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का नियंत्रित रूप से कार्य न करना है |हम यह भी मानते हैं कि मानसिक रोग ज्यादा से ज्यादा तनाव पैदा करता है जिससे मस्तिष्क पर अत्यधिक तनाव ,अत्यधिक दुख या कष्ट उत्पन्न हो सकते हैं यह स्थिति मनुष्य को बीमार बना देती है| आज का मनुष्य संतोष भरा जीवन व्यतीत नहीं करते वह बस भागना चाहते हैं इस दौड़ में सबसे आगे निकलना चाहते हैं यही स्थिति है उन्हें मानसिक रोगी बना देती है इन सारे  कथनसे हम बिल्कुल सहमत हैं

 
464 Views

Advertisement

''हमें सत्य में जीना चाहिए, सत्य केवल वर्तमान है।'' 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' के इस कथन को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? 


लेखक के अनुसार असल में वर्तमान ही सत्य है| वही हमारे सामने है|  भूत भी चुका है, भविष्य आने वाला है |बीते समय में लौटा नहीं जा सकता| भविष्य में जाया नहीं जा सकता | अतः सामने घट रहा है| वही सत्य है एक समझदार मनुष्य  एक  समझदार मनुष्य को उसी में जीना चाहिए |इसी प्रकार हमें सरलतापूर्वक आगे बढ़ते हुए जीवन जीना चाहिए| लेखक कहता है कि प्राया लोग बीते दिनों की यादों में दुखी रहते हैं और भविष्य के  चिंताओं में   उलझे रहते हैं| इस तरह हम भूत या भविष्य के भंवर में घिरे रहते हैं। यदि ध्यान दिया जाए, तो बीते कल की यादें दुख देती हैं और आने वाले भविष्य की चिंता हमारे दुख को और भी बढ़ा देती है। इसलिए वर्तमान में जीने में ही लाभ है|

288 Views

Advertisement