उत्पादन के
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बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रु० था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रु० थी। उस देश के बजटीय घाटे का परिमाण क्या था?


बजटीय घाटा: कर द्वारा अर्जित आय की अपेक्षा सरकारी व्यय जितने अधिक होते हैं, उसे 'बजटीय घाटा' के रूप में सूचित किया जाता है।
व्यापार घाटा: एक देश द्वारा अर्जित निर्यात आय की अपेक्षा अति-रिक्त आयत व्यय की मात्रा व्यापर घाटा कहलाता हैं।बजटीय घाटा = सरकारी व्यय - सरकारी प्राप्तियाँ  

व्यापार घाटा = आयत (M) - निर्यात (X)
और
व्यापार घाटा = निवेश (I) - बजत (S)
इस प्रकार,
  M - X = (I - S) + (G - T)
          = 2,000 + 1,500 = 3,500 करोड़ रूपए  
∴    व्यापार घाटा  = 3,500 करोड़ रूपए


मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर 1100 करोड़ रु० था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ रु० था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ रु० और राष्ट्रीय आय 850 करोड़ रु० है, तो मूल्यहास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।


हमें पता हैं कि
राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - मूल्यह्रास
∴     850 = 1,100 + 100 - 150 - मूल्यह्रास
मूल्यह्रास = 1,100 + 100 - 150 - 850
           = 1,200 - 1,000 = 200 करोड़ रु०


नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अंतर है? किसी फर्म की माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।


नियोजित माल: इसका अभिप्राय स्टॉक में उस परिवर्तन से हैं, जो नियोजित ढंग से होता है। नियोजित माल समावेश की स्थिति में फर्म को अपना माल बढ़ाने के लिए योजना करनी होगी।
अनियोजित माल: इसका अभिप्राय स्टॉक में उस परिवर्तन से है, जो बिना किसी अपेक्षा के हो जाता है। अनियोजित माल समावेश की स्थिति में विक्रय में अनपेक्षित कमी होने के कारण फर्म को बिना बिका माल संग्रहित करना पड़ेगा।
फर्म के सकल मूल्यवृद्धि = फर्म द्वारा उत्पादित माल का सकल मूल्य (Q) - फर्म द्वारा उपयोग की गई मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य (Z)
अथवा
सकल मूल्यवृद्धि = फर्म द्वारा विक्रय का मूल्य (V) + स्टॉक में परिवर्तन (A) - (Z)।


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उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?


उत्पादन के चार कारक और उनके पारिश्रमिक निम्नलिखित हैं :
उत्पादन के कारक पारिश्रमिक
(i) भूमि किराया
(ii) श्रम   मज़दूरी
(iii) पूँजी  ब्याज
(iv)उद्यम   लाभ

 


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तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?


सकल घरेलू उत्पाद के आकलन की तीन विधियाँ और उसकी निष्पत्तियाँ निम्नलिखित हैं:
विधियाँ निष्पत्तियाँ
(i) उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि

NVAFC(NDPFC) = सकल उत्पाद - मध्यवर्ती उपभोग - मूल्यह्रास - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर


GDP = i = 1N GVAi


(ii) आय विधि   GDP = i = 1NRVi       = W + P + I + R
(iii) व्यय विधि  GDP = i = 1NRVi      = C + I + G + X  - M

प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य आना चाहिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जितना उत्पादन होगा, उतना ही कारक आय सृजित होगी और जितनी साधन आय सृजित होगी उतना ही अंतिम व्यय होगा।
i.e. राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय व्यय  


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