कानून का शासन पद से आप क्
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घरेलु हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला सगंठनों ने इस प्रक्रिया में अलग-अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिएl


एक महिला संगठन के दफ्तर में कुछ औरतों ने शिकायत की कि उन्हें उनके पति द्वारा मारा-पीटा जाता हैl जब घरेलू हिंसा के पीड़ितों द्वारा शिकायतें बढ़ी तब एक नए कानून की आवश्यकता महसूस हुई कि गईl विभिन्न मंचों ने घरेलू हिंसा का मुद्दा उठाया।1999 में वकीलों, कानून, विद्यार्थियों और समाज वैज्ञानिकों के संगठन 'लॉयर्स कलेक्टिव' ने राष्ट्रव्यापी चर्चा के बाद घरेलू हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार कियाl इस विधयक को बहुत सारे लोगो को पढ़ाया गयाl 2002 में संसद में विधेयक पेश किया गयाl विधेयक का विरोध महिलाओं के समूह द्वारा किया गया था।एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया जिसमें ऑन-लाइन याचिका
शुरू करने का निर्णय लिया गया था। कई महिला संगठनों और राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसदीय स्थायी समिति को अपने सुझाव सौंपेl दिसंबर 2002 में संसदीय स्थायी समिति ने अपनी सिफ़ारिशो को राज्यसभा में प्रस्तुत किया और इन्हें लोकसभा में भी पेश किया गया। समिति की रिपोर्ट ने महिलाओं के समूह की अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया और अंत में संसद में एक नया बिल पेश किया गयाlदोनों सदनों से मंजूरी जाने के बाद उसे राष्ट्रीयपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा गयाl 2006 में घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून लागू हुआl

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इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते है कि भारत में कानून का शासन अंग्रेजो ने शुरू किया था इसके कारणों में से दो कारण बताइएl


इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते है कि भारत में कानून का शासन अंग्रेजो ने शुरू किया था, क्योंकि-

(1)औपनिवेशिक कानून मनमानेपन पर आधारित था।1870 में राजद्रोह एक्ट पारित किया। इस एक्ट के तहत अगर कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सरकार का विरोध या आलोचना करता था तो उसे मुकदमा चलाए बिना ही गिरफ्तार किया जा सकता थाl

(2)ब्रिटिश भारत में कानूनी मामलों के विकास में भारतीय राष्ट्रवादियों ने एक अहम भूमिका निभाई थीl

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'कानून का शासन' पद से आप क्या समझते है?अपने शब्दों में लिखिएl अपना जवाब देते हुए कानून के उलंघन का कोई वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दीजिएl


'कानून के शासन' का मतलब है कि सभी कानून देश के सभी नागरिको पर सामान रूप से लोगू होते हैl कानून से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं है चाहे वह सरकारी अधिकारी हो या धन्नासेठ हो और यहाँ तक कि राष्ट्रीपति ही क्यों न होl किसे भी अपराध या कानून के उल्लंघन की एक निश्चित सज़ा होती हैl सज़ा तक पहुँचने की भी एक तय प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति का अपराध साबित किया जाता हैl कानून के उलंघन का उदाहरण-

(I)एक दिन हमारे पड़ोसी बिना हलमेंट के दो पहिये का वाहन सड़क पर चला रहे थे जो कानून का उल्लंघन हैl

(2)यदि किसी अधिकारी को कोई रिश्वत देता है तो यह एक अपराध है यह कानून का पूर्ण उल्लंघन हैl

 

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अपने शब्दों में लिखिए कि इस अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य(पृष्ठ 44 -45) से आप क्या समझते है: अपनी बातों को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष सुरु कर दियाl यह समानता का संघर्ष था उनके लिए कानून का मतलब ऐसे नियम नहीं थे जिसका पालन करना उनकी मजबूरी हो वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित होंl


अंग्रेजो ने भारत पर काफी लम्बे समय तक राज किया उनका शासन पूरी तरह से मनमानेपन पर आधारित थाl भारतीय राष्ट्रीय इससे तंग आ चुकी थीl अंग्रेजी सरकार कभी भी अपने अनुसार कानून को बदल देते थेl उनका कहना था कि वे ऐसा भारत में व्यवथा लाने के लिए करते है जबकि सच्चाई यह थी कि वे भारतीय जनता को परेशान और प्रताड़ित करने के लिए ऐसा करते थेl 1870 का राजद्रोह एक्ट अंग्रेजी शासन के मनमानेपन की मिसाल थी इसके मुताबिक कोई भी यदि ब्रिटिश सरकार का विरोध या आलोचना करता था तो उसे बिना मुकदमा चलाये गिरफ्तार कर लिया जा सकता थाl

महात्मन गांधी सहित सभी भारतीय रॉयल एक्ट के सख्त खिलाफ थेl भारतीय राष्ट्रीयवादियों ने अंग्रेजो के इस मनमानेपन का विरोध किया अपनी बात मनवाने के लिए संघर्ष कियाl उन्होंने समानता के लिए आवाज उठाईl वे उन कानूनों का पालन नहीं करना चाहते थे जिनमें उन्हें दबाया जाये या जिन्हे उन्हें केवल मजबूरी में स्वीकारना पड़े बल्कि वे सभी भारतीयों के लिए ऐसा कानून चाहते थे जहां सभी के लिए सामान रूप से न्याय होंl इसके लिए राष्ट्रीयवादी अंग्रेजो द्वारा बनाए गए कानूनों को तोड़ने लगे ,नियमो का उलघंन करने लगेl

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