नवस्वाधीन भारत के सामने
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योजना आयोग की क्या भूमिका थी ?


(i) योजना आयोग की भूमिका आर्थिक विकास के लिए नीतियाँ बनाने और उनको लागू करने की थी।

(ii) राज्य और निजी क्षेत्र, दोनों ही उत्पादन बढ़ाने और रोजगार पैदा करने में महत्वपूर्ण और परस्पर पूरक भूमिका अदा करेंगे। इसलिए योजना आयोग की भूमिका इन सबको परिभाषित करने की थी कि कौन-से उद्योग सरकार द्वारा और कौन-से उद्योग बाजार द्वारा यानि निजी उद्योगपतियों द्वारा लगाए जाएँगे, विभिन्न क्षेत्रों एवं राज्यों के बीच किस' तरह संतुलन बनाया जाएगा।

(iii) अन्तत: भारत और भारतीयों को गरीबी से मुक्त कराने और आधुनिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार निर्मित करना नए भारत के मुख्य उद्देश्य थे।

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केंद्रीय सूचि में .............., ................... और ...........विषय रखे गए थे।


कर 

,

रक्षा 

,

विदेशी मामले 

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वह आर्थिक योजना जिसमें सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों को विकास में भूमिका दी गई थी, उसे .............. मॉडल कहा जाता था।


मिश्रित अर्थव्यवस्था  

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समवर्ती सूची में ................. और ..............विषय रखे गए थे।


वन

,

कृषि 

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नवस्वाधीन भारत के सामने कौन सी तीन समस्याएँ थीं ? 


नवस्वाधीन भारत के सामने की समस्याएँ निम्नलिखित थीं:

(i) बँटवारे की वजह से 80 लाख शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आ गए थे। इन लोगों के लिए रहने का इंतजाम करना और उन्हें रोज़गार देना ज़रूरी था।

(ii) इसके बाद रियासतों की समस्या थी। तकरीबन 500 रियासतें राजाओं या नवाबों के शासन में चल रही थीं। इन सभी को नए राष्ट्र में शामिल होने के लिए तैयार करना एक टेढ़ा काम था।

(iii) नवजात राष्ट्र को एक ऐसी राजनैतिक व्यवस्था विकसित करनी थी जो यहाँ के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को सबसे अच्छी तरह व्यक्त कर सके।

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